नाडोल के जूनाखेडा में 1100 वर्ष पहले होता था व्यावसायिक कार्य |

नाडोल के  भारमल नदी के किनारे स्थित प्राचीन जूनाखेडा में पुरातत्व विभाग द्वारा किये गए शोध कार्यो में यह सामने आया है की 1100 वर्ष पहले भी यहाँ कई प्रकार के व्यावसायिक कार्य संचालित होते थे | यहाँ मिले अवशेषों से ऐसे प्रमाण मिले है |

यह अवशेष  मिले

  • विभिन्न भट्टियां

  • चूल्हे

  • राख

  • लोहे के अवशेष

  • पत्थर से बने फर्श

इन अवशेषों के आधार पर पुराविदो का मानना है की लोहे के औज़ार , मिटटी के बर्तन  बनाने आदि के साथ साथ यहाँ  विभिन्न  आभूषण बनाने का कार्य  भी होता था |

यह बातें और पता चली खुदाई  में :

जूनाखेडा के उत्तरी हिस्से में टीले पर नगर के लोग रहा करते थे | यहाँ पर लोग मकान का निर्माण करवा कर वाही रहा करते थे | जबकि दक्षिण हिस्से में व्यावसायिक कार्य संचालित होते थे | आज भी भट्टियां वहां मौजुद है |वैसे मूलतः पूर्व समय में यह दोनों टीले बंटे हुए नहीं थे , तो कालांतार में लोगो ने आने जाने के लिए  टीले के बीच में से मार्ग बना दिए |

जूनाखेडा में 10-11 वी शताब्दी में चौहान वंशीय शासको की राजधानी थी | इनका साम्राज्य बाड़मेर, जालोर तक फैला हुआ था | आज भी चौहान शासको का दुर्ग  गड़ी आशापुरा के रूप में मौजुद है |