राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने चुनाव आयुक्त के 20 आप एम ल ए को आयोग्य घोषित करने वाले फैसले को मंज़ूरी दे दी है | उन सबको इसलिए आयोग्य घोषित किया गया क्यूंकि वे ऑफिस ऑफ प्रॉफ़िट पद्द पर थे |
क्या है ऑफिस ऑफ प्रॉफ़िट :
ऑफिस ऑफ प्रॉफ़िट एक ऐसा पद्द है जो किसी भी व्यक्ति को सैलरी या उसके सक्षम लाभ प्रदान करता है | भारत मे यह एक ऐसा पद्द है जिसे चुने हुए नेता जैसे की एमपी या एमएलए अपने पास नहीं रख सकते |
कैसे हुई इसकी शुरुआत :
इंग्लिश एक्ट ओफ सेट्टल्मेंट ,1701 के तहत यह शब्द पहली बार प्रचलन में आया | उस समय यह नियम था की जो भी व्यक्ति ऑफिस ऑफ प्रॉफ़िट अपने पास रखेगा या राजा से पेंशन लेगा वो हाउस ऑफ कोमन्स का सदस्य नहीं बन सकता |
क्यू नहीं रख सकते ऑफिस ऑफ प्रॉफ़िट :
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 1 (क) और 191 1 (क) के अनुसार कोई भी एमएलए या एमपी ऑफिस ऑफ प्रॉफ़िट के पद पर नहीं बने रह सकते क्यूंकि यह उन्हे वित्तीय लाभ प्रदान करता है |